न्यायाधीश ने भी टिप्पणी की थी कि ट्रिब्यूनल के सामने सुसंगत सामग्री और दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जा रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने आयकर आयुक्त बनाम खोडे एसवारा एण्ड संस (1972 एआईआर 132) में कहा है कि यह स्पश्ट है कि अर्थदण्ड सम्बन्धित कार्यवाही दाण्डिक प्रकृति की है अतः विभाग को अर्थदण्ड लगाने से पूर्व विभाग को सुसंगत सामग्री या साक्ष्य जिससे अर्थ निकाला जा सके कि कर निर्धारिती ने जानबूझकर अपनी आय को छुपाया है या इसके सम्बन्ध में साषय अषुद्ध विवरण दिये हैं और विवादित रकम राजस्व प्राप्ति है, कर-निर्धारिती द्वारा दिये गये मिथ्या स्पश्टीकरण से दूर यह स्थापित करना चाहिए कि विवादित रकम कर-निर्धारिती की आय बनती है ।